माँ अब नहीं रही
वर्षो पहले वह, गांव से
मेरे पास आ गयी थी
बीच बीच मे कुछ समय के लिए
वह दूसरे बेटों के पास भी जाती रहती थी
साल में तीन चार बार
पेंशन लेने वह गांव जाती थी
माँ को गृहस्थी जोड़ने का शौक था
गांव जाती तब कोई न कोई सामान
खरीद कर लें जाती
हम चिल्लाते
जब गांव में रहना नहीं तो सामान क्यो
पर वह नही सुनती थी
माँ अब नहीं रही
हम जब गांव जाते है
किसी सामान की कमी महसूस नही होती
तब माँ को याद करके
आंखें नम हो जाती हैं
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